टेक्नोलॉजी न्यूज़ डेस्क: डिजिटल इंडिया के दौर में UPI ऐप्स ने हमारे लेनदेन का तरीका पूरी तरह बदल दिया है। अब जेब में नकदी रखने की जरूरत नहीं, न बैंक की लंबी लाइनों में समय बर्बाद करना पड़ता है। बस मोबाइल निकाला, ऐप खोला, और सेकंडों में पैसे भेज दिए या ले लिए। छोटे पान वाले से लेकर बड़े मॉल तक हर जगह QR कोड स्कैन कर पेमेंट करना आम हो चुका है। लेकिन दिमाग में एक सवाल जरूर आता है, जब ये ऐप हमें फ्री में ट्रांजैक्शन करने देते हैं, तो इनकी कमाई कहां से होती है। जवाब है, इनका बिजनेस मॉडल जितना आसान दिखता है, असल में उतना ही स्मार्ट है।
UPI ट्रांजैक्शन से सीधे कमाई नहीं, लेकिन रास्ते और भी हैं
रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने UPI पेमेंट पर किसी भी तरह का शुल्क नहीं लगाया है, यानी न भेजने वाले से फीस, न पाने वाले से। ऐसे में लगता है कि कमाई का कोई रास्ता ही नहीं है। लेकिन Google Pay, PhonePe, Paytm जैसे प्लेटफॉर्म अलग तरीके से पैसा बनाते हैं। ये अपने यूजर बेस और पेमेंट डेटा का इस्तेमाल पार्टनरशिप, मार्केटिंग और सर्विसेज बेचने में करते हैं।
मर्चेंट पेमेंट से मोटी कमाई
जब आप किसी दुकान, रेस्टोरेंट, पेट्रोल पंप या ऑनलाइन शॉप पर UPI से पेमेंट करते हैं, तो कई बार व्यापारी को पेमेंट गेटवे फीस देनी पड़ती है। छोटे ट्रांजैक्शन पर यह शुल्क नहीं लगता, लेकिन बड़े पेमेंट या खास मोड जैसे क्रेडिट कार्ड लिंक्ड UPI पर मर्चेंट डिस्काउंट रेट के रूप में कमीशन वसूला जाता है। PhonePe और Paytm जैसी कंपनियां बड़े ब्रांड्स और ई कॉमर्स साइट्स से इसी तरह अच्छा मुनाफा कमाती हैं।
रिचार्ज और बिल पेमेंट से फायदा
इन ऐप्स में बिजली, पानी, गैस, मोबाइल रिचार्ज, DTH और मेट्रो कार्ड रिचार्ज जैसी सेवाएं मौजूद हैं। यूजर को यह फ्री लगती हैं, लेकिन असल में कंपनी को हर पेमेंट पर सर्विस प्रोवाइडर से कमीशन मिलता है। यह एक स्थिर और भरोसेमंद कमाई का जरिया है।
लोन और इंश्योरेंस बेचकर मुनाफा
आज UPI ऐप्स सिर्फ पेमेंट तक सीमित नहीं हैं। ये पर्सनल लोन, शॉर्ट टर्म क्रेडिट और इंश्योरेंस प्रोडक्ट्स बेचते हैं। बैंक और NBFC के साथ टाई अप करके हर अप्रूव्ड लोन पर रेफरल कमीशन लेते हैं। हेल्थ और ट्रैवल इंश्योरेंस पॉलिसी से भी अच्छी कमाई होती है।
निवेश प्रोडक्ट्स से रेवेन्यू
इन ऐप्स पर म्यूचुअल फंड, गोल्ड बॉन्ड, डिजिटल गोल्ड और शेयर मार्केट में निवेश का विकल्प मौजूद है। जब यूजर निवेश करता है, तो कंपनी को प्रोसेसिंग शुल्क या कमीशन मिलता है।
डेटा और टारगेटेड ऑफर्स से इनकम
कंपनियां कानूनी सीमा में रहकर यूजर के पेमेंट पैटर्न और खर्च की आदतों का विश्लेषण करती हैं। इसके आधार पर टारगेटेड ऑफर्स और डिस्काउंट दिखाए जाते हैं, जिससे यूजर खरीदारी करता है और पार्टनर ब्रांड्स से कंपनी को कमीशन मिलता है।
प्रीमियम सर्विस और सब्सक्रिप्शन
Paytm जैसी कंपनियां प्रीमियम सर्विस देती हैं जैसे FASTag, वॉलेट लिमिट बढ़ाना या बिजनेस अकाउंट के लिए एडवांस सॉल्यूशन। इन पर यूजर से शुल्क लिया जाता है।
विज्ञापनों से भी होती है मोटी कमाई
UPI ऐप खोलते ही कई बार ब्रांड्स के ऑफर्स और प्रमोशन नजर आते हैं। ये विज्ञापन कंपनियों के लिए बड़ा रेवेन्यू सोर्स हैं। जितना बड़ा यूजर बेस, उतना ज्यादा एड इनकम।
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