Kingdom Movie Review: स्टाइलिश प्रेजेंटेशन के बावजूद कहानी में गहराई की कमी

Kingdom Movie Review

विजय देवरकोंडा और सत्य देव की बहुप्रतीक्षित तेलुगु फिल्म ‘किंगडम’ आज सिनेमाघरों में रिलीज़ हो गई। गौतम तिन्नानुरी द्वारा निर्देशित इस फिल्म में भाग्यश्री बोरसे, वेंकटेश मुरुगन और अन्य कलाकार अहम भूमिकाओं में नजर आ रहे हैं। नागा वामसी और साई सौजन्या द्वारा निर्मित इस फिल्म का संगीत अनिरुद्ध रविचंदर ने तैयार किया है, जबकि सिनेमैटोग्राफी गिरीश गंगाधरन और जोमन टी. जॉन की है।

कहानी की झलक:

फिल्म की कहानी 1990 के दशक में स्थापित है। विजय देवरकोंडा ‘सूरी’ नामक कांस्टेबल की भूमिका में हैं, जो अपने लापता भाई ‘शिवा’ (सत्य देव) की तलाश में जुटे हैं। उन्हें पता चलता है कि शिवा श्रीलंका में तस्करी के कारोबार में लिप्त है और एक आपराधिक गिरोह का नेतृत्व कर रहा है। सूरी को एक अंडरकवर एजेंट बनाकर वहां भेजा जाता है ताकि वह शिवा और कार्टेल दोनों की गतिविधियों का भंडाफोड़ कर सके। आगे की कहानी सूरी की जासूसी, भाई से टकराव और रिश्तों की जटिलता के इर्द-गिर्द घूमती है।

फिल्म के मजबूत पक्ष:

विजय देवरकोंडा का प्रदर्शन एकदम संतुलित और प्रभावी है। उन्होंने बिना नाटकीयता के अपने किरदार को बखूबी निभाया है। सत्य देव भी अपनी भूमिका में जमे हैं और दोनों अभिनेताओं की जोड़ी स्क्रीन पर अच्छा प्रभाव छोड़ती है। वेंकटेश मुरुगन अपनी दमदार मौजूदगी से ध्यान खींचते हैं। फिल्म में कुछ एक्शन दृश्य – विशेष रूप से इंटरवल के पहले पुल पर की गई फाइट और क्लाइमेक्स – दर्शकों को बांधने में सफल रहते हैं।

कमज़ोर कड़ियाँ:

फिल्म की सबसे बड़ी कमजोरी इसकी पटकथा है। लगभग दो वर्षों के निर्माण के बावजूद किंगडम की कहानी नयापन नहीं ला पाती। भावनात्मक पहलू, खासकर भाइयों के बीच संबंध, ज्यादा प्रभाव नहीं छोड़ते। कई सीन और घटनाएं दूसरी फिल्मों से प्रेरित लगती हैं, जिससे ताजगी की कमी महसूस होती है। भाग्यश्री बोरसे का किरदार सीमित और अधूरा है। सत्य देव को भी उनके किरदार की गहराई दिखाने का पूरा मौका नहीं मिल पाया।

तकनीकी पक्ष:

दृश्यात्मक रूप से फिल्म आकर्षक है। कैमरा वर्क और लोकेशन खूबसूरत ढंग से प्रस्तुत किए गए हैं। एक्शन सीक्वेंस भी भव्य हैं। हालांकि, अनिरुद्ध रविचंदर का बैकग्राउंड स्कोर प्रभाव छोड़ने में चूक जाता है। नवीन नूली का संपादन और सधा हुआ हो सकता था, विशेष रूप से फिल्म के दूसरे हिस्से में, जहां रफ्तार धीमी पड़ जाती है।

अंतिम फैसला:

किंगडम एक औसत लेकिन दर्शनीय एक्शन-ड्रामा है। फिल्म अपने विषय को बहुत गहराई से नहीं छू पाती, लेकिन अभिनय और कुछ रोमांचक दृश्यों की बदौलत यह मनोरंजन का विकल्प बन सकती है। अगर आप विजय देवरकोंडा के फैन हैं या एक स्टाइलिश प्रेजेंटेशन वाली एक्शन फिल्म देखना चाहते हैं, तो किंगडम एक बार देखी जा सकती है — बशर्ते आपकी उम्मीदें ज़्यादा ऊँची न हों।

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