भारत की सबसे बड़ी आईटी सेवा प्रदाता कंपनी टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज (TCS) ने अपने वित्तीय वर्ष 2026 के दौरान लगभग 2% कर्मचारियों, यानी 12,000 से अधिक लोगों की छंटनी करने का फैसला किया है। यह कदम तेजी से बदल रही तकनीकी दुनिया, खासकर आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) के बढ़ते प्रभाव को देखते हुए उठाया गया है, ताकि कंपनी खुद को अधिक चुस्त, प्रभावी और भविष्य के लिए तैयार बना सके।
रॉयटर्स की रिपोर्ट के अनुसार, यह छंटनी मुख्य रूप से मध्यम और वरिष्ठ प्रबंधन स्तर पर केंद्रित होगी और इसका असर उन विभिन्न देशों के कर्मचारियों पर भी पड़ेगा, जहाँ कंपनी वर्तमान में कार्यरत है। जून 2025 में समाप्त तिमाही के अंत तक TCS के कर्मचारियों की कुल संख्या 6.13 लाख थी। कंपनी ने भरोसा दिलाया है कि यह परिवर्तन पूरी “सावधानी और योजना” के साथ किया जा रहा है ताकि ग्राहकों को मिलने वाली सेवाओं में कोई व्यवधान न हो।
वित्तीय दृष्टि से देखा जाए तो अप्रैल-जून तिमाही में TCS का परिचालन मार्जिन 20 आधार अंक घटकर 24.5% रह गया, जबकि कंपनी की योजना इसे 26-28% के दायरे में लाने की है। दिलचस्प बात यह है कि कुछ ही हफ्ते पहले कंपनी ने कहा था कि वह अपने 6 लाख से अधिक कर्मचारियों के वेतन में वृद्धि को प्राथमिकता दे रही है।
हालाँकि, CFO समीर सेकसरिया ने वेतन वृद्धि की कोई स्पष्ट समयसीमा नहीं दी, लेकिन यह जरूर कहा कि कंपनी की “प्राथमिकता अब वेतन वृद्धि पर वापस लौटने” की है। इसी बीच, कर्मचारियों की नौकरी छोड़ने की दर (Attrition Rate) भी चिंता का विषय बन रही है—अप्रैल-जून तिमाही के अंत तक यह दर LTM आधार पर बढ़कर 13.8% हो गई, जो पिछली तिमाही (जनवरी-मार्च) में 13.3% थी।
CFO सेकसरिया ने इसे ‘चिंताजनक स्तर’ बताया और कहा कि कंपनी अब शीर्ष प्रतिभाओं को बनाए रखने पर ध्यान दे रही है क्योंकि उन्हें नए सिरे से नियुक्त करना कठिन हो सकता है। उन्होंने यह भी संकेत दिया कि वर्तमान में कंपनी के पास पर्याप्त क्षमता है, इसलिए लेटरल हायरिंग की गति फिलहाल धीमी रखी जाएगी और मांग बढ़ने पर इसमें तेजी लाई जा सकती है।
इस छंटनी और रणनीतिक बदलाव के साथ, TCS ने साफ संकेत दिया है कि वह तेजी से बदलती टेक्नोलॉजी की दुनिया में खुद को स्थिर, लाभकारी और प्रतिस्पर्धी बनाए रखने के लिए पूरी तरह तैयार है।
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